आलोक वृत्त खंड काव्य का सारांश।
आलोक वृत्त खंड काव्य की रचना कविवर गुलाब खंडेलवाल द्वारा की गई है। परीक्षा की दृष्टि से यह एक महत्वपूर्ण खंडकाव्य है। तथा इसे ध्यान पूर्वक पढ़ कर आप परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त कर सकते हैं। इस खंडकाव्य की कथा युगपुरुष महात्मा गांधी के जीवन पर आधारित है इस खंडकाव्य में यह बताया गया है कि महात्मा गांधी का जीवन किस प्रकार का था। आलोक वृत्त खंड काव्य का सारांश।
किस प्रकार से उन्होंने जन आंदोलनों को प्रोत्साहित किया तथा देश को आजाद कराने में योगदान दिया इस समय पता चलेगा कि गांधीजी किस प्रकार के व्यक्ति थे एक प्रकार से कहे तो गांधी जी का चरित्र चित्रण आपको इस खंडकाव्य यानी आलोक वृत्त मैं देखने को मिलेगा इस खंड काव्य की कथावस्तु निम्नलिखित है।
प्रथम सर्ग (भारत का स्वर्णिम अतीत)
18 सो 69 ईस्वी में महात्मा गांधी का जन्म पोरबंदर नामक स्थान पर हुआ था तथा गांधीजी का व्यक्तित्व इतना प्रभावशाली था कि समस्त दानवी एवं पाशविक शक्तियां भी उनके सामने टिक न सकी। ब्रिटिश शासन भयभीत हो गया। गांधी जी ने अपने साहस और शक्ति से शासन के क्रूर अत्याचारों और धनात्मक कार्यों से पीड़ित जनता को शक्ति प्रदान की। गांधी जी के रूप में भारतीय जनता को नया जीवन स्रोत मिला।
द्वितीय सर्ग (गांधीजी का प्रारंभिक जीवन)
आलोक वृत्त खंड काव्य में युवा होने पर गांधी जी का विवाह कस्तूरबा के साथ हो गया। कुछ समय बाद ही उनके पिता जी का स्वर्गवास हो गया। उनकी मृत्यु के समय गांधी जी अपने पिता के पास नहीं थे। वे उच्च शिक्षा ग्रहण करने के लिए इंग्लैंड चले गए। गांधी जी की माता जी को यह डर सता रहा था कि उनका पुत्र विदेश में जाकर मांस मदिरा का सेवन न करने लगे। अतः विदेश जाने से पहले उन्होंने अपने पुत्र को वचन लेने को कहा और वह वचन कुछ इस प्रकार से था
“मद्य–मांस–मदिरक्षी से बचने की शपथ दिलाकर
माने तो दी विदा पुत्र को मंगल तिलक लगाकर।”
अपनी शिक्षा समाप्त कर जाओ गांधीजी स्वदेश लौटे तो उन्हें ज्ञात हुआ कि उनकी माताजी उन्हें छोड़कर स्वर्ग सिधार गई हैं। यह सुनकर उन्हें काफी कष्ट हुआ। इस प्रकार से गांधीजी का प्रारंभिक जीवन व्यतीत हुआ।
आलोक वृत्त खंड काव्य का सारांश।
तृतीय सर्ग (गांधीजी का अफ्रीका प्रवास)
आलोक वृत्त खंड काव्य में दक्षिण अफ्रीका में एक बार गांधीजी रेल से प्रथम श्रेणी में यात्रा कर रहे थे। एक गोरे ने होना अपमानित करके गाड़ी से नीचे उतार दिया। रंगभेद की इस नीति को देखकर वह बहुत दुखी हुए वह शांत भाव से एकांत में ठिठुरते हुए बैठे रहे।
वह वहां बैठे-बैठे भारतीयों की दुर्दशा पर चिंतन करने लगे। उन्होंने अपनी जन्मभूमि से दूर विदेश की भूमि पर बैठकर मानवता के उद्धार का संकल्प लिया। सत्य और अहिंसा के इस मार्ग को उन्होंने सत्याग्रह का नाम दिया। उन्होंने दक्षिण अफ्रीका में सैकड़ों सत्याग्रह का नेतृत्व किया और संघर्ष में विजय प्राप्त की। आलोक वृत्त खंड काव्य का सारांश।
चतुर्थ सर्ग (गांधी जी का भारत आगमन)
आलोक वृत्त खंड काव्य के चतुर्थ सर्ग में गांधी जी के भारत आगमन को दर्शाया गया है। गांधीजी दक्षिण अफ्रीका से भारत वापस आए। भारत आकर रोने लोगों को स्वतंत्रता प्राप्त करने हेतु जागृत किया। डॉ राजेंद्र प्रसाद, जवाहरलाल नेहरू, सरदार बल्लभ भाई पटेल, विनोबा भावे, सरोजिनी नायडू, सुभाष चंद्र बोस, मदन मोहन मालवीय आदि अनेक प्रमुख देश प्रेमी उनके अनुयाई बन गए। गांधीजी के आवाहन पर देश के महान नेता एकजुट होकर सत्याग्रह की तैयारी में जुट गए। आलोक वृत्त खंड काव्य का सारांश।
गांधीजी ने चंपारण में नील की खेती को लेकर आंदोलन प्रारंभ किया, जिसमें वे सफल रहे। उनके भाषण सुनकर विदेशी सरकार विषम स्थिति में पड़ जाती थी। इस आंदोलन में सरदार वल्लभ भाई पटेल का व्यक्तित्व अच्छी तरह निखर कर सामने आया।
पंचम सर्ग (असहयोग आंदोलन)
आलोक वृत्त खंड काव्य में गांधी जी के नेतृत्व में स्वाधीनता आंदोलन निरंतर बढ़ता गया। अंग्रेजों की दमन नीतियां लगातार बढ़ती चली गई। गांधी जी के ओजस्वी भाषण ने भारतीयों में नई स्फूर्ति भर दी, लेकिन अंग्रेजों की फूट डालो और शासन करो की नीति ने यंत्र तंत्र सांप्रदायिक दंगे करवा दिए। गांधी जी को बंदी बना लिया गया।
जेल में गांधीजी अस्वस्थ हो गए। अतः उन्हें छोड़ दिया गया। चीन सागर गांधीजी हरिजनों उद्धार, हिंदू मुस्लिम एकता, शराब मुक्ति, खादी प्रचार, आदि के रचनात्मक कार्य में लग गए। हिंदू मुस्लिम एकता के लिए गांधीजी ने 21 दिनों का उपवास रखा।
“आत्म शुद्धि का यज्ञ कठिन है यह, पूरा होने को जब आया।
बापू ने 21 दिनों के, अनशन का संकल्प सुनाया।”
षष्ठ सर्ग (नमक सत्याग्रह)
आलोक वृत्त खंड काव्य में अंग्रेजो के द्वारा लगाए गए नमक कानून को तोड़ने के लिए गांधीजी ने समुद्र तट पर बसे दांडी नामक स्थान तक पैदल यात्रा 24 दिनों में पूरी की। नमक आंदोलन में हजारों लोगों को बंदी बनाया गया।
तत्पश्चात अंग्रेज शासकों ने गोलमेज सम्मेलन बुलाया जिसमें गांधी जी को बुलाया गया। इस कांफ्रेंस के साथ-साथ कवि ने वर्ष 1937 के “प्रांतीय स्वराज” की स्थापना संबंधी कार्यकलापों का सुंदर वर्णन किया है। आलोक वृत्त खंड काव्य का सारांश।
सप्तम सर्ग ( वर्ष 1942 की जनक्रांति )
द्वितीय विश्व युद्ध आरंभ हो गया। अंग्रेज सरकार भारतीयों का सहयोग तो चाहती थी परंतु उन्हें पूर्ण अधिकार देना नहीं चाहती थी। क्रिप्स मिशन की असफलता के बाद वर्ष 1942 में गांधी जी ने भारत छोड़ो आंदोलन छेड़ दिया। संपूर्ण देश में विद्रोह की ज्वाला धधक उठी।
“थे महाराष्ट्र गुजरात उठे, पंजाब उड़ीसा साथ उठे।
बंगाल इधर, मद्रास उधर, मरुस्थल में थी ज्वाला घर घर।”
कवि ने इस आंदोलन का बड़ा ही ओजस्वी भाषा में वर्णन किया है मुंबई अधिवेशन के बाद गांधी जी सहित सभी भारतीय नेता जेल में डाल दिए गए। इस पर संपूर्ण भारत में विद्रोह की ज्वाला भड़क उठी कवि ने पूज्य बापू एवं कस्तूरबा के मध्य हुए वार्तालाप का बड़ा सुंदर चित्रण किस सर्ग में किया है। आलोक वृत्त खंड काव्य का सारांश।
अष्टम सर्ग (भारतीय स्वतंत्रता का अरुणोदय)
देशवासियों के अथक प्रयासों और बलिदानों के फलस्वरूप भारत स्वतंत्र हो गया । स्वतंत्रता प्राप्ति के साथ ही देश में सांप्रदायिक झगड़े आरंभ हो गए। हिंसा की अग्नि 4 और भड़क उठी। इन सब को देखकर बापू अत्यंत व्यथित हो गए।
“प्रभो! इस देश को सत्यथ दिखाओ,
लगी जो आग भारत में, बुझाओ।
मुझे दो शक्ति इसको शांत कर दूं,
लपट में रोब की निज शीश धर दूं।”
आलोक वृत्त खंड काव्य का सारांश।
आलोक वृत्त शीर्षक की सार्थकता
कविवर गुलाब खंडेलवाल ने आलोक वृत्त खंड काव्य में महात्मा गांधी के व्यक्तित्व को चित्रित किया है। महात्मा गांधी के चरित्र को हम प्रकाश शुरू कह सकते हैं क्योंकि उन्होंने अपने सद्गुणों एवं सब विचारों से भारतीय संस्कृति की चेतना को प्रकाशित किया है। उन्होंने देश से प्रेम अहिंसा आज भावनाओं का प्रकाश फैलाया। इस दृष्टिकोण से यह शीर्षक उपयुक्त है। आलोक वृत्त खंड काव्य का सारांश।
यह गांधीजी के जीवन उनके चरित्र गुणों सिद्धांतों एवं दर्शन के पूर्ण रूप से परिभाषित करता हुआ एक साहित्यिक एवं दार्शनिक शीर्षक है।
आलोक वृत्त उदेश्य –श्री खंडेलवाल की रचना आलोक नाथ मैं उनके उद्देश्य इस प्रकार परिभाषित होते हैं–
- देश प्रेम की भावना को जागृत करना इस खंडकाव्य का सर्वप्रथम उद्देश्य देशवासियों में स्वदेश प्रेम की भावना जागृत करना है यह खंडकाव्य भारतीय जनों के ह्रदय में भारत की गौरव में अतीत का वर्णन करके देश प्रेम की भावना जगाना चाहता है।
- सत्य और अहिंसा का महत्व इस खंडकाव्य के माध्यम से कवि ने सत्य और अहिंसा के महत्व को दर्शाया है कवि का मानना है कि सत्य और अहिंसा ऐसे अस्त्र हैं जिनके बल पर हम विरोधियों को भी परास्त कर सकते हैं। कवि ने गांधीजी के उदाहरण देते हुए या सिद्ध करने का प्रयास किया है कि सत्य और अहिंसा के द्वारा हम प्रत्येक संकल्प को पूरा कर सकते हैं।
- त्याग और बलिदान की भावना का संदेश महात्मा गांधी ने देश को स्वतंत्र कराने के लिए महान त्याग एवं अपना सर्वस्व बलिदान किया। वे अनेक बार जेल गए। उन्होंने अनेक कष्टों को सहन किया। इस प्रकार कवि गांधी जी के उदाहरण को प्रस्तुत करके देश के युवकों को देश के लिए त्याग बलिदान करने की प्रेरणा देता है।
- साधनों की पवित्रता में विश्वास गांधी जी का विचार था कि मनुष्य को सदैव पवित्र आचरण अपनाना चाहिए और साधनों को भी पवित्र होना चाहिए अर्थात वह जो भी साधन अपनाएं वह पवित्र होने चाहिए। उन्होंने देश को स्वतंत्र कराने के लिए छल कपट और हिंसा का आश्रय कभी नहीं लिया। उन्होंने देश की स्वतंत्रता के लिए प्रेम सत्य अहिंसा जैसे साधनों का प्रयोग किया जिसमें वे सफल भी रहे।
- राष्ट्रीय एकता एवं सहयोग की भावना अंग्रेज शासकों ने हमारे देश में सूट के बीज बोकर परस्पर ग्रहण एवं हिंसा के भाव भर दिए थे। आज का भारत प्राचीन भारत के समान ही विभिन्न धर्मों एवं संप्रदायों का संगम है। हमारे देश की स्वतंत्रता तभी सुरक्षित रह सकती है जब हम धर्म संप्रदाय एवं जातिगत भावनाओं से ऊपर उठकर राष्ट्रीय एकता को बनाए रखें। इसी को ध्यान में रखकर या संदेश दिया गया कि हमें सांप्रदायिक एवं प्रांतीय विधवाओं को भूलकर राष्ट्र की एकता बनाए रखनी चाहिए। इस प्रकार आलोक वृत्त खंड काव्य गांधी जी के जीवन चरित्र को माध्यम बनाकर लोगों को राष्ट्रप्रेम सत्य अहिंसा परोपकार न्याय सदाचार आदि की प्रेरणा देने के उद्देश्य में सफल रहा है। आलोक वृत्त खंड काव्य का सारांश।
आलोक वृत्त खंडकाव्य के तीन प्रमुख तथागत विशेषताओं का उल्लेख
कविवर गुलाब खंडेलवाल द्वारा रचित आलू कृत खंडकाव्य में महात्मा गांधी के जीवन को चित्रित किया गया है तथा इस की कथावस्तु संबंधी विवेचना इस प्रकार की गई है
- कथानक की व्यापकता आलोक वृत्त खंड काव्य का कथानक महात्मा गांधी के जीवन पर आधारित है। इसमें महात्मा गांधी के सदाचार एवं मानवता के गुणों से प्रकाशित व्यक्तित्व को चित्रित किया गया है। उन्होंने भारतीय संस्कृति की चेतना को अपने सद्गुणों एवं सब विचारों से प्रकाशित किया है उन्होंने सत्य प्रेम अहिंसा आधे मानवीय भावनाओं का प्रकाश फैलाया है। अतः इस जीवन वृत्त को आलोक वृत्त कहा जा सकता है। यह कथानक महात्मा गांधी के जीवन वृत्त पर आधारित है पर साथ ही साथ इसमें पंडित मोतीलाल नेहरु पंडित मदन मोहन मालवीय महात्मा गांधी की माता उनकी पत्नी सरदार बल्लभ भाई पटेल पंडित जवाहरलाल नेहरू डॉ राजेंद्र प्रसाद आदि के जीवन की झांकियां भी सम्मिलित है।
- कथा का संगठन आलोक वृत्त खंड काव्य का आरंभ भारत के गौरवमई अतीत से होता है। कथा का प्रारंभ अट्ठारह सौ सत्तावन ईसवी के बाद की दयनीय स्थिति के वर्णन से प्रारंभ हुआ है तथा गांधी जी की जन्म की घटना को भी इसमें दिखाया गया है। इसके साथ ही इसमें गांधीजी के समय तत्कालीन भारत की दुर्दशा का भी वर्णन किया गया है। शिक्षा ग्रहण करने गांधीजी का इंग्लैंड जाना वहां बैरिस्टर बन्ना दक्षिण अफ्रीका में सत्याग्रह करना तथा तत्पश्चात कथा का उतार दर्शाया गया है। स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात संपूर्ण देश में फैली सांप्रदायिक हिंसा के कारण गांधीजी का दो और ईश्वर से प्रार्थना करने के साथ ही इस खंडकाव्य की समाप्ति हो जाती है।
- संवाद योजना कथावस्तु के विस्तार के कारण इस खंड काव्यों में संवाद योजना को प्रमुखता प्रदान नहीं की गई है। इस खंडकाव्य प्रमुख रूप से गुणात्मक ही है पर फिर भी विभिन्न स्थानों पर गांधी जी के संक्षिप्त संवाद प्रस्तुत किए गए हैं कुछ अन्य पात्र द्वारा भी संवादों का प्रयोग किया गया है किंतु इन्हें नगण्य ही कहा जाएगा।
- पात्र एवं चरित्र चित्रण प्रस्तुत खंडकाव्य में मुख्य चरित्र महात्मा गांधी का व्यक्तित्व है। उनका चरित्र नायक के रूप में विकसित हुआ है। हालांकि उनमें कुछ दुर्बलता भी है, परंतु अपनी ईमानदारी सत्यनिष्ठा सरलता और लगन के बल पर वे अपनी दुर्बलता ओं पर विजय प्राप्त कर लेते हैं। वे अपने प्रेम से शत्रुओं के हृदय को भी जीत लेते हैं। उनका अहिंसा का सिद्धांत मानव हृदय की एकता और सभी के प्रति समानता के भाव पर आधारित है। प्रस्तुत खंडकाव्य में गांधीजी को चरित्र नायक बनाकर उनके प्रेरणा पर विचारों को वाड़ी प्रदान की गई है। कुछ अन्य महापुरुषों की झलकियां को भी पात्र रूप में समायोजित किया गया है लेकिन वे केवल महात्मा गांधी के चरित्र पर प्रकाश डालने हेतु कथा में संगठित किए गए हैं।
- उद्देश्य इस कथा के संगठन का उद्देश्य राष्ट्रीयता सत्य अहिंसा मानवीयता आदि सद्गुणों के प्रति भावनात्मक संवेग उत्पन्न करके समाज में उनका महत्व स्थापित करना है। इस प्रकार यह स्पष्ट है कि आलोक वृत्त में गांधीजी जैसे महान नायकों के गुण को आधार बनाकर काव्य की रचना की गई है। कथा की पृष्ठभूमि विस्तृत है गॉड पात्रों का चरित्र नायक के चरित्र की विशेषताओं को प्रकाशित करने हेतु किया गया है। आलोक वृत्त खंड काव्य का सारांश।
आलोक वृत्त खंड काव्य के नायक का चरित्र चित्रण।
आलोक वृत्त खंड काव्य के नायक महात्मा गांधी है कवि ने इन्हें एक लोक नायक के रूप में प्रस्तुत किया है इनका जीवन एवं उनके कार्य हमारे लिए सदैव प्रेरणा का स्रोत रहे हैं गांधीजी की चारित्रिक विशेषताएं इस प्रकार हैं
- देश प्रेमी गांधीजी के चरित्र की सर्वप्रथम विशेषता है उनका देश प्रेमी हो ना गांधी जी अपने देश से इतना प्रेम करते थे कि उन्होंने अपना तन मन धन सब कुछ देश के लिए समर्पित कर दिया था। वे अनेक बार कारागृह में भी गए अंग्रेजों के अपमान और अत्याचार भी सही लेकिन भारत के लिए उनके विचार हमेशा देश प्रेमी ही रहे।
- सत्य और अहिंसा के उपासक गांधी जी देश की स्वतंत्रता सत्य और अहिंसा के बल पर प्राप्त करना चाहते थे। वे अहिंसा को महान शक्तिशाली अस्त्र मानते थे उन्होंने अपने जीवन में हिंसा न करने का दृढ़ निश्चय किया था। कोई विरला व्यक्ति ही इस प्रकार अहिंसा का पूर्ण रुप से पालन कर सकता है।
- ईश्वर के प्रति आस्थावान गांधीजी पुरुषार्थी तो है ही पर ईश्वर के प्रति दृढ़ आश्वासन भी है उन्होंने अपने जीवन काल में जो कुछ भी किया ईश्वर को साक्षी मानकर ही किया। उनका मानना था कि साधन पवित्र होना चाहिए और परिणाम की इच्छा नहीं करनी चाहिए परिणाम ईश्वर पर ही छोड़ देना चाहिए।
- मानवीय मूल्यों के प्रति निष्ठावान गांधीजी ने अपने जीवन में मानवीय मूल्यों एवं सदाचरण को सदैव बनाए रखा। वे मानव मानव में अंतर नहीं मानते थे। वे समानता के सिद्धांत में विश्वास करते हैं उनके अनुसार जाति धर्म वरण एवं रूट के आधार पर भेदभाव करना अनुचित है वे कहते थे कि पाप से घृणा करो पापी से नहीं।
- स्वतंत्रता प्रेमी गांधीजी के जीवन का मुख्य उद्देश्य देश को स्वतंत्र करवाना है वह भारत माता की स्वतंत्रता के लिए कुछ भी करने को तैयार हैं वे देशवासियों को गुलामी की जंजीरों को काटने के लिए प्रेरित करते हैं इससे स्पष्ट होता है कि गांधीजी का व्यक्तित्व एक देश प्रेमी भावना के साथ-साथ स्वतंत्रता प्रेमी भावना को भी स्पष्ट करता है।
- हिंदू मुस्लिम एकता के समर्थक उन्होंने सदैव हिंदू और मुसलमानों को एक साथ रहने की प्रेरणा दी वह विश्व बंधुत्व और वसुदेव कुटुंबकम की भावना से ओतप्रोत थे। वे सभी को सुखी देखना चाहते थे वह जीवन भर जनता को एकता के सूत्र में बांधने के लिए प्रयास करते रहे और हिंदू मुसलमानों को भाई भाई की तरह रहने की प्रेरणा देते रहें।
- स्वदेशी वस्तु एवं खादी को महत्व गांधी जी ने स्वदेशी वस्तुओं को अपनाने की प्रेरणा दी और उन्होंने विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार किया जन-जन में खादी का प्रचार किया और उन्हें अपनाने की प्रेरणा दी
- “खादी का प्रचार घर-घर में
- अब थी यही लगन जीवन की”
- आत्मविश्वासी गांधीजी आत्मविश्वास से परिपूर्ण थे अपने जीवन में उन्होंने जो भी किया आप विश्वास के साथ किया और उनमें वे सफल भी रहे।
- सत्याग्रही गांधी जी ने सत्य की शक्ति पर पूर्ण भरोसा किया। सत्याग्रह के बल पर ही उन्होंने देश को अंग्रेजों के चंगुल से मुक्त करवाया और आजादी दिलवाई। आलोक वृत्त खंड काव्य का सारांश।
अतः कहां जा सकता है कि गांधीजी एक श्रेष्ठ मानव है उनके निर्मल चरित्र पर उंगली उठाने का साहस किसी में नहीं है। आलोक वृत्त खंड काव्य का सारांश।