भारत की संघीय संसद। सम्पूर्ण जानकारी। राजनीती विज्ञानं।
भारत की संसद राष्ट्रपति, राज्यसभा तथा छोकसभा से मिलकर बनती है (अनुच्छेद-79) संघीय संसद राज्यसभा ( उच्च सदन ) राज्यसभा के सदस्यों की अधिक-से-अधिक संख्या 250 हो सकती है। (राज्य सभा की संरचना अनुच्छेद 80) राज्यसभा की सदस्यता के छिए न्यूनतम उम्र-सीमा 30 वर्ष है। संघीय संसद
वर्तमान समय में यह संख्या 245 है। इनमें 2 सदस्य राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत किये जाते हैं। ये ऐसे व्यक्ति होते हैं जिन्हें कला, साहित्य, विज्ञान, समाजसेवा या सहकारिता के क्षेत्र में विशेष ज्ञान या अनुभव है। शेष 233 सदस्य संघ की इकाइयों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
राज्यसभा एक स्थायी सदन है जो कभी भंग नहीं होती । इसके सदस्यों का कार्यकाल छः वर्ष का होता है। इसके एक तिहाई सदस्य
प्रति दो वर्ष बाद सेवा-निवृत्त हो जाते हैं। अनुच्छेद-83 (1 ) संघीय संसद
राज्यसभा का सभापति एवं उपसभापतति (अनुच्छेद-89) संघीय संसद
भारत का उपराष्ट्रपति राज्य सभा का पदेन सभापति होता है। राज्यसभा यथाशीपघ्र, अपने किसी सदस्य को अपना उपसभापति
चुनेगी और जब-जब उपसभापति का पद रिक्त होता है तब-तब राज्यसभा किसी अन्य सदस्य को अपना उपसभापति चुनेगी |
उपसभापति का पद रिक्त होना, पदत्याग और पद से हटाया जाना (अनुच्छेद-90) उपसभापति यदि राज्य सभा का सदस्य नहीं रहता है तों अपना पद रिक्त कर देगा; सभापति को संबोधित त्यागपत्र द्वारा वह अपना पद त्याग सकेगा; राज्य सभा के तत्कालीन समस्त सदस्यों के बहुमत से पारित संकल्प द्वारा अपने पद से हटाया जा सकेगा परन्तु इस संकल्प को प्रस्तावित करने के आशय की सूचना उसे कम-से-कम चौदह दिन पहले देनी होगी। संघीय संसद
[su_note class=”text alin center”]जब सभापति या उपसभापति को पद से हटाने का संकल्प विचाराधीन हो, तो वह पीठासीन नहीं होगा (अनुच्छेद-92) ।[/su_note]
मंत्रिपरिषद् राज्यसभा के प्रति उत्तरदायी नहीं होती है। अनुच्छेद-249 के अनुसार यदि राज्य सभा उपस्थित तथा मतदेने
वाले सदस्यों के दो तिहाई बहुमत से प्रस्ताव पारित कर यह घोषित करती है कि राज्य सूची में उल्लिखित कोई विषय राष्ट्रीय महत्व का है
तो संसद उस विषय पर अस्थायी कानून का निर्माण कर सकती है। ऐसा प्रस्ताव एक वर्ष से अधिक प्रभावी नहीं रहता है लेकिन यदि राज्य सभा चाहे तो हर बार इसे एक वर्ष के लिए बढ़ाया जा सकता है। संघीय संसद
केवल राज्यसभा को राज्यसभा में उपस्थित तथा मतदान देने वाले सदस्यों के कम-से-कम दो तिहाई सदस्यों के बहुमत से अखिल
भारतीय सेवाओं का सृजन का अधिकार है (अनुच्छेद-372) ।
धन विधेयक राज्यसभा में पुन स्थापित नहीं किया जायेगा। धन विधेयक के संबंध में राज्यसभा को केवल सिफारिशें करने का अधिकार है, जिसे मानने के लिए लोकसभा बाध्य नहीं है। इसके लिए राज्यसभा को 4 दिन का समय मिलता है। यदि इस समय में विधेयक वापस नहीं होता तो पारित समझा जाता है। राज्यसभा धन विधेयक को न अस्वीकार कर सकती है और न ही उसमें कोई संशोधन कर सकती है। संघीय संसद
राष्ट्रपति वर्ष में कम-से-कम, दो बार राज्यसभा का अधिवेशन आहूत करता है। राज्यसभा के एक सत्र की अन्तिम बैठक तथा अगले सत्र की प्रथम बैठक के लिए नियत तिथि के बीच 6 माह से अधिक का अंतर नहीं होना चाहिए । राज्यसभा का पहली बार गठन 3 अप्रेल, 1952 ई. को किया गया था। इसकी पहली बैठक 13 मई, 1952 को हुई थी। संघीय संसद
लोकसभा (लोक सभा की संरचना अनुच्छेव-81 )
लोकसभा संसद का प्रथम या निम्न सदन है, जिसक सभापतित्व करने के लिए एक अध्यक्ष होता है। लोकसभा अपनी पहली बैठक के पश्चात् यथाशीघ्र अपने दो सदस्यों को अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के रूप में चुनती है। मूल संविधान में लोकसभा की सदस्य-संख्या 500 निश्चित की गयी है। संघीय संसद
अभी इसके सदस्यों की अधिकतम सदस्य-संख्या 552 हो सकती है। इनमें से अधिकतम 530 सदस्य राज्यों के निर्वाचन क्षेत्रों से व अधिकतम 20 सदस्य संघीय क्षेत्रों से निर्वाचित किये जा सकते हैं एवं राष्ट्रपति आंग्ल-भारतीय वर्ग के अधिकतम दो सदस्यों का मनोनयन कर सकते हैं। वर्तमान में छोकसभा की सदस्य-संख्या 545 है। इन सदस्यों में 524 सदस्य 28 राज्यों से 19 सदस्य 8 केन्द्र शासित प्रदेशों से निर्वाचित होते हैं व दो सदस्य आंग्ल भारतीय वर्ग के प्रतिनिधि के रूप में राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत होते हैं (अनु. 337) |
नये परिसीमन के बाद लोकसभा में अनुसूचित जातियों के लिए 84 स्थान एवं अनुसूचित जनजाति के लिए 47 स्थान आरक्षित
किये गये हैं। 2001 ई. में संसद द्वारा पारित 84वें संविधान संशोधन विधेयक के अनुसार लोकसभा एवं विधानसभाओं की सीटों की संख्या 2026 ई. तक यथावत रखने का प्रावधान किया गया हैं | संघीय संसद
लोकसभा के सदस्यों का चुनाव गुप्त मतदान के द्वारा वयस्क मताधिकार के आधार पर होता है। 61 वे संविधान संसोधन (1989 ई. ) के अनुशार भारत में अब 18 वर्ष की आयु प्राप्त व्यक्ति को वयस्क माना गया है।
लोकसभा में अनुसूचित जातियों तथा अनुसूचित जनजातियों के लिए, राज्यवार जनसंख्या के अनुपात में आरक्षण का प्रावधान किया गया है (अनु.-330.332) | यह प्रावधान प्रारंभ में 0 वर्ष के लिए किया गया था, किन्तु इसे संविधान संशोधन द्वारा 10-10 वर्ष के लिए आगे बढ़ाया जाता रहा है | संघीय संसद
वर्तमान में 04वें संविधान संशोधन (2079) द्वारा अनु.-334 में संशोधन कर लोकसभा में अनुसूचित जातियों व अनुसूचित जनजातियों के आरक्षण तथा आंग्ल भारतीयों को मनोनीत करने संबंधी प्रावधान को 2030 तक के लिए बढ़ा दिया गया है। संघीय संसद
सबसे अधिक मतदाता वाला लोकसभा क्षेत्र— बाहरीदिल्ली ! (मतदाता-33,68,399)
सबसे कम मतदाता वाला लोकसभा क्षेत्र–लक्षद्वीप | (मतदाता-39,033)
क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे बड़ा लोकसभा क्षेत्र–लद्दाख (क्षेत्रफल 4,23,266,377)
क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे छोटा लोकसभा क्षेत्र– चांदनी चौक,
लोकसभा की सदस्यता के लिए अनिवार्य योग्यताएँ निम्न हैं:
- वह व्यक्ति भारत का नागरिक हो।
- उसकी आयु 25 वर्ष या इससे अधिक हो ।
- भारत सरकार अथवा किसी राज्य सरकार के अन्तर्गत वह कोई लाभ के पद पर नहीं हो |
- वह पागल व दिवालिया न हो।
लोकसभा का अधिकतम कार्यकाल सामान्यतः 5 वर्ष का होता है। मंत्रिपरिषद् लोकसभा के प्रति सामूहिक रूप से उत्तरदायी होती है [अनुच्छेद-75 (3)] प्रधानमंत्री के परामर्श के आधार पर राष्ट्रपति के द्वारा लोकसभा को समय से पूर्व भी भंग किया जा सकता है, ऐसा अबतक 8 बार (1970, 1977, 1979, 1984, नवम्बर 1989, मार्च 1997, दिसम्बर 1992 तथा अप्रैल 1999) किया गया है। संघीय संसद
आपातकालछ की घोषणा छागू होने पर विधि द्वारा संसद लोकसभा के कार्यकाल में वृद्धि कर सकती है, जो एक बार में एक वर्ष से अधिक नहीं होगी। आपातकाल की उद्घोषणा समाप्त हो जाने के पश्चात् उसका विस्तार किसी भी दशा में छः महीने से अधिक नहीं होगी | 1976 ई, में लोकसभा का कार्यकाल दो बार एक-एक वर्ष के लिए बढ़ाया गया था। संघीय संसद
लोकसभा एवं राज्यसभा के अधिवेशन राष्ट्रपति के द्वारा ही बुलायेऔर स्थगित किये जाते हैं। लोकसभा की दो बैठकों में 6 माह से अधिक का अंतर नहीं होना चाहिए। संघीय संसद
“ जब तक संसद विधि द्वारा अन्यथा उपबंध न करे तब तक संसद के प्रत्येक सदन का अधिवेशन गठित करने के लिए गणपूर्ति सदन के सदस्यों की कुल संख्या का दसवाँ भाग होगी /अनुच्छेद-100(3)/। यदि सदन के अधिवेशन में किसी समय गणपूर्ति नहीं है तो सभापति या अध्यक्ष अथवा उस रूप में कार्य करने वाले व्यक्ति का यह कर्त्तव्य होगा कि वह सदन को स्थंगित कर दे या अधिवेशन को तब तक के लिए निलंबित कर दे जब तक गणपूर्ति नहीं हो जाती है। /अनुच्छेद-700 (4)/ संघीय संसद
लोकसभा की गणपूर्ति या कोरम कुल सदस्य संख्या का दसवाँ भाग (55 सदस्य) होता है। संविधान के अनुच्छेद-08 में संसद के संयुक्त अधिवेशन की व्यवस्था है | संयुक्त अधिवेशन राष्ट्रपति के द्वारा निम्न तीन स्थितियों में बुलाया जा सकता है—विधेयक एक सदन से पारित होने के बाद जब दूसरे सदन में जाये; तब यदि . 1 – दूसरे सदन द्वारा विधेयक अस्वीकार कर दिया गया हो, 2. विधेयक पर किये जानेवाले
संशोधनों के बारे में दोनों सदन अन्तिम रूप से असहमत हो गये हैं, 3. दूसरे सदन को विधेयक प्राप्त होने की तारीख से उसके
द्वारा विधेयक पारित किये बिना 6 मास से अधिक बीत गये हों। संघीय संसद
सदनों की संयुक्त बैठक में अधिवेशित होने के लिए आहूत करने के अपने आशय की राष्ट्रपति की सूचना के पश्चात् लोकसभा का विघटन बीच में हो जाने पर भी, अनुच्छेद-08 (5) के अधीन संयुक्त बैठक हो सकेगी और उसमें विधेयक पारित हो सकेगा।
( अनुछेद-108 ) द्वारा निर्धारित संयुक्त बैठक की प्रक्रिया सामान्य विधायन तक ही सीमित है। घन विधेधक एवं संविधान संशोधन विधेयक पारित करने के लिए संयुक्त बैठक नहीं हो सकती । संविधान संशोधन विधेयक दौनों सदनों मैं अलग-अलग पारित होना चाहिए। संविधान संशोधन अनुच्छेद-368 (2) द्वारा शासित होता है।
राष्ट्रपति, राज्यसभा के सभापति और लोकसभा के अध्यक्ष से जा परामर्श करने के पश्चात्, दोनों सदनों की संयुक्त बैठकों से सम्बंधित और उनमें प्ररस्पर संचार से सम्बंधित प्रक्रिया के नियम बना सकेगा /अनुच्छेद-118 (3)।
संयुक्त अधिवेशन की अध्यक्षता लोकसभा के अध्यक्ष के द्वारा की हा जाती है /अनु.-118 (4)]। संयुक्त बैठक से अध्यक्ष की अनुषस्थिति
के दौरान सदन का उपाध्यक्ष या यदि वह भी अनुपस्थित है, तो पड राज्यसभा का उपसभापति या यदि, वह भी अनुपस्थित है, तो ऐसा अन्य व्यक्ति पीठासीन होगा, जो उस बैठक में उपस्थित सदस्यों द्वारा अवधारित किया जाए। संघीय संसद
संयुक्त बैठक में कोई विधेयक निर्दिष्ट किया जाता है तो इस विधेयक को दोनों सदनों के उपस्थित तथा मत देने वाले सदस्यों के साधारण बहुमत से पारित किया जाता है अनु.-108(4)। संघीय संसद
संयुक्त बैठक की समस्त कार्यवाही लोकसभा के प्रक्रिया के अनुसार होती है | संसद में लंबित विधेयक सदनों के सत्रावसान के कारण व्यपगत यानी समाप्त नहीं होता है /अनुच्छेद-107 (3)। राज्यसभा में लंबित विधेयक, जिसको लोकसभा ने पारित नहीं किया है, लोकसभा के विघटन पर व्यपगत नहीं होता है (अनु.-107 (४)॥।
कोई विधेयक, जो लोकसभा में लंबित है या जो लोकसभा द्वारा पारित कर दिया गया है और राज्य सभा में लंबित है अनुच्छेद-108 के उपबंधों के अधीन रहते हुए लोकसभा के विघटन पर व्यपगत हो जाएगा। लोकसभा में एक दिन मैं तारांकित प्रश्नों की अधिकतम संख्या 20 होती है। धन विधयक के सबंध में लोकसभा का निर्णय अंतिम होता है। इस संबंध में संयुक्त अधिवेशन की व्यवश्था नहीं है। संघीय संसद
अविश्वास प्रस्ताव केवल लोकसभा में ही पुरः स्थापित किया जा सकता है। अविश्वास प्रस्ताव प्रस्तुत करने के लिए कम-से-कम 50 लोकसभा सदस्यों के समर्थन की जरूरत होती है, जबकि अविश्वास प्रस्ताव को पारित कराने के लिए लोकसभा के सदस्यों के बहुमत की जरूरत होती है। यदि अविश्वास प्रस्ताव पारित हो जाता है, तो सरकार को इस्तीफा देना पड़ता हैं। संघीय संसद
भारत के संविधान में किसी अविश्वास प्रस्ताव का कोई उल्लेख नहीं है
लोकसभा के पदाधिकारी : अध्यक्ष तथा उपाध्यक्ष
संविधान के अनुच्छेद-93 के अनुसार छोकसभा स्वयं ही अपने सदस्यों में से एक अध्यक्ष और एक उपाध्यक्ष चुनेगी | प्रत्येक आम चुनाव के पश्चात् जब लोकसभा का पहली बार आयोजन किया जाता है तो प्रोटेम स्पीकर के द्वारा नए निर्वाचित सदस्यों को शपथ दिलाई जाती है। प्रोटेम स्पीकर उस समय तक कार्य करता है जब तक नए अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष का चयन नहीं कर लिया जाता है। संघीय संसद
अध्यक्ष उपाध्यक्ष को तथा उपाध्यक्ष अध्यक्ष को त्याग-पत्र देता है। लोकसभा के अध्यक्ष, अध्यक्ष के रूप में शपथ नहीं छेता, बल्कि सामान्य सदस्य के रूप में शपथ लेता है। चौदह दिन के पूर्व सूचना देकर छोकसभा के तत्काढीन समस्त सदस्यों के बहुमत से पारित संकल्प द्वारा अध्यक्ष तथा उपाध्यक्ष को पद से हटाया जा सकता है । संघीय संसद
लोकसभा के भंग होने की स्थिति में अध्यक्ष अपना पद अगली लोकसभा की पहली बैठक होने तक रिक्त नहीं करता है। लोकसभा में अध्यक्ष की अनुपस्थिति में उपाध्यक्ष, उपाध्यक्ष की अनुपस्थिति में राष्ट्रपति द्वारा बनाये गये वरिष्ठ सदस्यों का 4 में से कोई व्यक्ति, पीठासीन होता है। इस पैनल में आमतौर पर 6 सदस्य होते है। संघीय संसद
लोकसभा अध्यक्ष के कार्यें एवं अधिकार
- सदन के सदस्यों के प्रश्नों को स्वीकार करना, उन्हें नियमित करना व नियम के विरुद्ध घोषित करना
- किसी विषय को लेकर प्रस्तुत किया जाने वाह कार्य स्थगन प्रस्ताव” अध्यक्ष की अनुमति से पेश किया जा सकता है।
- वह विचाराधीन विधेयक पर बहस रुकवा सकता है।
- संसद सदस्यों को भाषण देने की अनुमति देना औरभाषणों का क्रम व समय निर्धारित करना |
- विभिन्न विधेयक व प्रस्तावों पर मतदान करवाना व प्ररिणाम घोषित करना तथा मतों की समानता की स्थिति में निर्णायक मत देने का अधिकार है।
- संसद व् राष्ट्रपति के मध्य होने वाला पत्र-व्यवहार करना तथा कोई विधेयक, धन विधेयक है या नहीं; इसका निर्णय करना।
- अध्यक्ष द्वारा धन विधेयक के रूप में प्रमाणित विधेयक की प्रकृति के प्रश्न पर न्यायलय में या किसी सदन में या राष्ट्रपति द्वारा
विचार नहीं किया जाएगा ।
यदि उसकी आज्ञा से कोई विधेयक गजट में प्रकाशित हो जाता है, तो उसे पेश करने के लिए किसी प्रस्ताव की आवश्यकता नहीं रहती ।
लोकसभा में विपक्ष के नेता को राजकोष से वेतन प्राप्त होता है व उसे कैबिनेट स्तर के मंत्री के समान समस्त सुविधाएँ प्राप्त
होती हैं। संघीय संसद
भारत के संविधान में किसी अविश्वास प्रस्ताव का कोई उल्लेख नहीं है
- प्रथम लोकसभा का कार्यकाल 7 अप्रैल, 4952 से 4 अप्रैल, 957 तक रही |
- प्रथम लोकसभा अध्यक्ष श्री जी. वी. मावरंकर एवं उपाध्यक्ष अनंतशयनम थे।
संसद एवं संसद-सदस्यों से संबंधित कुछ विशेष बातें :
- सभापति या अध्यक्ष, या उस रूप में कार्य करने वाला व्यक्ति प्रथमतः मत नहीं देगा, किन्तु मत बराबर होने की दशा में उसका निर्णायक होगा और वह उसका प्रयोग करेगा। संघीय संसद
- संसद के किसी सदन की सदस्यता में कोई रिक्ति होने पर भी उस सदन की कार्य करने की शक्ति होंगी और यदि बाद में यह पता चलता है कि कोई व्यक्ति, जो ऐसा करने का हकदार नहीं था, कार्यवाहियों में उपस्थित रहा है या उसने मत दिया है या अन्यथा भाग लिया है तो भी संसद की कार्यवाही विधिमान्य होगी /अनु.-100 (2)।
- संसद में स्थगन प्रस्ताव संसद का कोई भी सदस्य रख सकता है लेकिन इसके लिए अध्यक्ष की अनुमति आवश्यक है, बिना अध्यक्ष के अनुमति के स्थगन प्रस्ताव नहीं रखा जा सकता है। स्थगन प्रस्ताव लाने का मुख्य उद्देश्य सार्वजनिक महत्व के निश्चित अत्यावश्यक मुद्दे पर बहस करना होता है। सामान्यतः स्थगन प्रस्ताव को सायं 4 बजे ही लाया जाता है।
- किसी संसद-सदस्य की योग्यता अथवा अयोग्यता से संबंधित प्रश्न का अंतिम विनिश्चय चुनाव आयोग की सछाह से राष्ट्रपति करता है।
- एक समय एक व्यक्ति केवछ एक ही सदन का सदस्य रह सकता है। संघीय संसद
- यदि कोई सदस्य सदन की अनुमति के बिना 60 दिनों की अवधि से अधिक समय के लिए सदन के सभी अधिवेशनों से अनुपस्थित रहता है तो सदन उसकी सदस्यता समाप्त कर सकता है /अनु.-107 (4)।।
- संसद-सदस्यों को संसद की बैठक के पूर्व या बाद के 40 दिन की अवधि के दौरान गिरफ्तारी से मुक्ति प्रदान की गई है।गिरफ्तारी से यह मुक्ति केवछ सिविकछ मामलों में है। आपराधिक मामले अर्थात् निवारक निरोध की विधि के अधीन गिरफ्तारी से छूट नहीं है।
- भूतपूर्व संसद सदस्यों के लिए पेंशन व्यवस्था ।०7७ से लागू की गयी है। संघीय संसद
- यदि कोई संसद सदस्य अपने पद से संबंधित शपथ लिये बिना संसद की कार्यवाही में भाग लेता है और मतदान करता है तो उसके द्वारा मतदान करने से संसद की कार्यवाही पर कोई प्रभाव नही पड़ेगा तथा जितने दिन वह मतदान करता है या कार्यवाही में भाग लेता है तो प्रतिदिन के हिसाब से उसे 500 रूपये दंडस्वरूप देने होंगे |
न्यायालय द्वारा अपराधी घोषित किए गए व्यक्ति को चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य करार देने का निर्णय संसद द्वारा किया गया है। संसद के द्वारा पारित जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 95] की धारा 8 (3) के तहत यह उल्लेख किया गया है कि यदि किसी जनप्रतिनिधि को 2 वर्ष या उससे अधिक की सजा सुनाई जाती है तो उसकी सदस्यता समाप्त हो जाएगी तथा वह अगले 6 साल तक चुनाव नहीं लड़ सकेगा ।
यह भी पड़ें :- भारतीय संविधान की संघीय कार्यपालिका। संघीय कार्यपालिका क्या है ?