भारत का नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक
भारत का नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक। नियंत्रक महालेखा परीक्षक की नियुक्ति राष्ट्रपति करता है। किन्तु उसे पद से संसद के दोनों सदनों के समावेदन पर ही हटाया जा सकेगा जिसका आधार साबित कदाचार या असमर्थता होगा। यानी इसे हटाने की प्रक्रिया उच्चतम न्यायलय के न्यायाधीश केसमान होगी ।
भारत का नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक
इसकी पदावधि पद ग्रहण करने की तिथि से 6 वर्ष होगी, लेकिन यदि इससे पूर्व 65 वर्ष की आयु प्राप्त कर लेता है तो वह अवकाश ग्रहण कर लेगा। वह सेवा-निवृत्ति के पश्चात् भारत सरकार के अधीन कोई पद धारण नहीं कर सकता |
नियंत्रक महालेखा परीक्षक सार्वजनिक धन का संरक्षक होता है । भारत तथा प्रत्येक राज्य एवं प्रत्येक संघ राज्य क्षेत्र की संचित निधि से किये गये सभी व्यय विधि के अधीन ही हुए हैं यह इस बात की संपरीक्षा करता है। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक राष्ट्रपति या राज्यपाल के निवेदन पर किसी अन्य प्राधिकरण के लेखाओं की भी लेखा परीक्षा करता है। जैसे स्थानीय निकायों की लेखा परीक्षा। भारत का नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक।
नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक केन्द्र सरकार के लेखाओं से संबंधित प्रतिवेदनों को राष्ट्रपति को देता है, जिसे वह संसद के प्रत्येक सदन के पटल पर रखते हैं। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक किसी राज्य के लेखाओं से संबंधित प्रतिवेदनों को उस राज्य के राज्यपाल को देता है, जिसे वह उस राज्य के विधान-मंडल के पटल पर रखते हैं।
नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक राष्ट्रपति को तीन लेखा परीक्षा प्रतिवेदन प्रस्तुत करता है—विनियोग लेखाओं पर लेखा परीक्षा रिपोर्ट, वित्त लेखाओं पर लोक परीक्षा रिपोर्ट और सरकारी उपक्रमों प्र लेखा परीक्षा रिपोर्ट । राष्ट्रपति इन रिपोर्टों को संसद के दोनों सदनों के सभा पटल पर रखता है। इसके उपरांत लोक लेखा समिति इनकी जाँच करती है और इसके निष्कर्षों से संसद को कराती है। भारत का नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक।
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