मौलिक कर्तव्य कितने हैं।
मौलिक कर्तव्य का अर्थ है कुछ ऐसे कर्तव्य जो हमें निस्वार्थ भाव से हमारे देश के प्रति कार्य हमारी जिम्मेदारियों का भान करते हैं। इन कर्तव्यों का पालन करना देश के प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य होना चाहिए। कियोंकि जो भावना देश प्रेम से जाग्रत हो सकती है वह भावना ही है जो हमे हमेशा देश के लिए बिना किसी स्वार्थ के कार्य करने के लिए निरंतर प्रेरित करती रहती है।
देश के हर नागरिक को इन मौलिक कर्तव्यों के बारे में जानकरी होना अति आवश्यक हो गया है। कियोंकि शिक्षित समाज ही एक उन्नत भविष्य की नीव है। कियोंकि शिक्षा के माध्यम से ही तो हम अपने देश के नागरिको के मन में देशभक्ति की भावना का संचार कर सकते है। और उन्हें जीवन के कर्तव्यों और देश के पति कर्तव्यों के बारे में जागरूक कर सकते हैं।
मौलिक कर्तव्य का ज्ञान अति आवश्यक माना गया है इसका ध्यान रखते हुए भारत सरकार को इसके लिए कुछ कार्यक्रमों की आवश्यकता है ताकि विषय में अधिक से अधिक जानकारी साधारण व्यक्ति तक पहुंच सके। जिससे वह इन कर्तव्यों के प्रति जागरूक होकर इनका ईमानदारी के साथ निर्वहन कर सके और देश के विकाश में अपना योगदान दे सके और संतोष प्राप्त कर सके।
सरदार स्वर्ण सिंह समिति की अनुशंसा पर संविधान के 42 वें संशोधन 1976 ईस्वी के द्वारा मौलिक कर्तव्य को संविधान में जोड़ा गया । इसे रूस के संविधान से लिया गया है। इसे भाग 4 क के अनुच्छेद 51 क के तहत रखा गया है।
मौलिक कर्तव्य कितने हैं ?
- प्रत्येक नागरिक का यह कर्तव्य होगा कि वह संविधान का पालन करें उसके आदर्शों संस्थाओं राष्ट्रध्वज और राष्ट्रगान का आदर करें।
- स्वतंत्रता के लिए हमारे राष्ट्रीय आंदोलनों को प्रेरित करने वाले उत्साह दर्शकों को हृदय में सजाए रखें और उनका पालन करें।
- भारत की प्रभुता एकता और अखंडता की रक्षा करें और उसे अक्षुण रखें।
- देश की रक्षा करें।
- भारत के सभी लोगों में समर सत्ता और सम्मान भ्रातृत्व की भावना का निर्माण करें।
- हमारी सामासिक संस्कृति की गौरवशाली परंपरा का महत्व समझे और उसका परिरक्षण करें।
- प्राकृतिक पर्यावरण की रक्षा और उसका संवर्धन करें।
- वैज्ञानिक दृष्टिकोण और ज्ञानार्जन की भावना का विकास करें।
- सार्वजनिक संपत्तियों को सुरक्षित रखें।
- व्यक्तिगत एवं सामूहिक गतिविधियों के सभी क्षेत्रों में उत्कर्ष की ओर बढ़ने का सतत प्रयास करें।
- माता-पिता या संरक्षक द्वारा 6 से 14 वर्ष के बच्चों हेतु प्राथमिक शिक्षा प्रदान करना जो के 40 वें संशोधन द्वारा ऐड किया गया है।
मौलिक कर्तव्यों के पालन से देश का विकास।
अभी आप यही सोच रहे होंगे न कि किस प्रकार से देश का विकाश मौलिक कर्तव्यों के पालन से जोड़ा जा सकता है। चिंतित न होइए हम आपके इस प्रश्न का हल अभी आपको समझाये दे रहे है देखिये किसी भी देश का विकाश सीधे सीधे उस देश के निवासियों से जुड़ा हुआ होता है इस बात को स्वीकार करने में तो आपको भी कोई संकोच नहीं होगा।
तो उसी हिसाब से आप यह सोच कर देखिये की जब लोग देश के देश के पार्टी संवेदनशील नहीं होंगे तो वे लोहग देश के प्रति काम करने से हमेशा कतराएंगे और यदि वो ऐसा करेंगे तो आप सोचिये उस देश के अंदर तो समस्त सामाजिक कार्यो पर एक तरीके से रोक लग जाएगी। जिसकी वजह से देश के विकाश कार्यो की गति सीधे तोर पर प्रभावित होगी।
जिसकी वजह से लोग भ्रस्टाचार करने में भी संकोच नहीं करेंगे। फलस्वरूप देश में अधिक भ्रस्टाचार होने की वजह से देश के विकाश की दर बिलकुल निचले स्तर पर पहुंच जाएगी। जिस प्रकार भरस्टचार के चलते पाकिस्तान और श्री लंका जैसे देशो में हाहाकार मचा हुआ है देश की आर्थिक स्तिथि बहुत हद तक खराब हो चुकी है।
इसी प्रकार से आशा कारता हु कि आपकी आशंका को समाप्त करने में मेने सफलता हाशिल की होगी। अब आपको भी लगता ही होगा की मौलिक कर्तव्यों के पालन से देश के विकाश में गति आना स्वाभाविक है।
यह भी जानें – मौलिक अधिकार क्या है ?