हिंदी साहित्य का इतिहास नोट्स | Hindi sahitya ka Itihas 2023 in hindi | class-12th UP Board | Best notes

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आज के इस आर्टिकल में हम पढ़ेंगे Hindi sahitya ka Itihas 2022 in hindi जो कि पूरी तरह से हिंदी में ही होने वाला है अब हिंदी जैसी विषय को समझना अपने आप में गर्व की बात है। आगे आपको बताया जायेगा कि हिंदी साहित्य इतिहास में क्या-क्या हुआ था इसके अलावा हम आपको यह भी बताएँगे कि किस प्रकार के प्रश्न class 12th hindi यूपी बोर्ड की परीक्षा में पूछा जायेगा। आपको एक तरह से सम्पूर्ण नजरिया दिया जायेगा प्रशनो को हल करने का। तो चलिए शुरू करते है अब इस हिंदी class 12th hindi के चेप्टर 1 को।

हिंदी साहित्य का इतिहास नोट्स महत्वपूर्ण बिंदु एवं परिभाषाएं

हिंदी साहित्य के इतिहास की परम्परा।

हमारे इस सेक्शन के अंतर्गत हम आपको हिंदी साहित्य के इतिहास की परम्परा  में बताने वाले है जो कुछ इस प्रकार से है हिंदी साहित्य के इतिहास लेखन की परम्परा अत्यधिक प्राचीन है, जिसे भिन्न-भिन्न साहित्य इतिहास लेखकों ने भिन्न-भिन्न पद्धतियों से लिखा है। जिसका वर्णन नीचे किया गया है 

  1. इस्तवार द लॉ लितरेत्यूर ऐंदुई हिंदुस्तानी ( फ्रेंच भाषा, 1839 )
  2. हिंदी साहित्य का इतिहास – डॉ रमाशंकर शुक्ल ‘रसाल’
  3. हिंदी साहित्य का दूसरा इतिहास ( वर्ष 1996 ) – डॉ. बच्चन सिंह
  4. हिंदी साहित्य और संवेदना का विकाश ( वर्ष 1986 ) – डॉ. रामस्वरूप चतुर्वेदी
  5. हिंदी साहित्य का इतिहास ( वर्ष 1973 ) – डॉ नगेंद्र
  6. हिंदी साहित्य का वैज्ञानिक इतिहास ( वर्ष 1965 ) – गणपति चंद्र गुप्त
  7. हिंदी साहित्य का आलोचनात्मक इतिहास ( वर्ष 1938 ) – डॉ. रामकुमार वर्मा
  8. आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी द्वारा रचित इतिहास ग्रन्थ
    (i) हिंदी साहित्य की भूमिका ( वर्ष 1940 )
    (ii) हिंदी साहित्य : उदभव और विकाश ( वर्ष 1962 )
    (iii) हिंदी साहित्य का आदिकाल ( वर्ष 1952 )
  9. हिंदी साहित्य का  इतिहास ( वर्ष 1929 ) ( नगरी प्रचारिणी सभा द्वारा प्रकाशित ‘ हिंदी शब्द सागर ‘ की भूमिका के रूप
  10. में ) – आचार्य रामचंद्र शुक्ल
  11. मिश्रबन्धु-विनोद ( वर्ष 1913 प्रथम तीन भाग, वर्ष 1934 चतुर्थ भाग ) – मिश्र बन्दु ( गणेश बिहारी मिश्र, श्याम बिहारी मिश्र और शुक्ल देव बिहारी मिश्र )
  12. द मॉर्डन वर्नाकुलर लिटरेचर ऑफ़ हिंदुस्तान ( 1888 ई. ) – जॉर्ज ग्रियर्सन
  13. शिवसिंह सरोज ( 1883 ई. ) – शिवसिंह सेंगर

सर्वमान्य एवं सर्वप्रचलित काल विभाजन।

हमारे इस सेक्शन में आपको हिंदी साहित्य के कालों के विभाजन के बारे में बताया गया है हो सकता है इस सेक्शन से आपको बहुविकल्पीय प्र्शन पूछे जा सकते हैं। सर्वमान्य एवं सर्वप्रचलित काल विभाजन नीचे कुछ इस प्रकार से दिया गया है –

  1. आदिकाल – 700 से 1400 ई.
  2. पूर्व मध्यकाल ( भक्तिकाल ) – 1400 से 1700 ई.
  3. उत्तर मध्यकाल ( रीतिकाल ) – 1700 से 1850 ई.
  4. आधुनिक काल – 1850 ई. से अब तक
     (i) भारतेन्दु युग ( 1850 – 1900 )
     (ii) द्विवेदी युग ( 1900 – 1918 )
     (iii) छायावाद युग ( 1918 – 1938)
     (iv) प्रगतिवाद-प्रयोगवाद युग ( 1938 – 1953 )
     (v) नई कविता-नवलेखन युग – ( वर्ष 1953 से अब तक )

आदिकाल ( 700 – 1400 ई. )

इस सेक्शन में आपको आदिकाल के बारे में वह जानकारी दी जाएगी जो आपकी class 12th hindi यूपी बोर्ड की परीक्षा में पूछी जा सकती है। इसके आलावा आपको इस सेक्शन में पता लगेगा आदिकाल के प्रमुख ग्रंथो के बारे कियोंकि इनसे सम्बंधित प्रश्न आपकी आगामी class 12th hindi यूपी बोर्ड की परीक्षा में पूछे जा सकते है –

आदिकाल की साहित्यिक प्रवृतियाँ –

इस सेक्शन में हम जानेंगे कि आदिकाल की साहित्यिक प्रवृतियाँ क्या होती है ? जो नीचे दी गयी हैं –

  1. सिद्ध-नाथ कवियों की रचनाएँ
  2. जैन कवियों की धार्मिक रचनाएँ
  3. वीरता एवं शृंगारपरक रचनाएँ  ( वीरगाथात्मक काव्य )
  4. अन्य प्रवृतियाँ या लौकिक काव्य ( विद्यापति, अमीर खुसरो आदि )

आचार्य रामचन्द्र शुक्ल के अनुसार काल विभाजन एवं नामकरण

हिंदी साहित्य का इतिहास नोट्स

इस सेक्शन में आपको पता चलेगा की आचार्य रामचन्द्र शुक्ल के द्वारा काल का विभाजन और उन्हीं के द्वारा किया गया नामकरण जो की नीचे कुछ इस प्रकार से दिया गया है।

  • वीरगाथा काल ( संवत 1050 – 1375 ) ( आदिकाल )
  • भक्तिकाल ( संवत 1375 – 1700 ) ( पूर्व मध्यकाल )
  • रीतिकाल  ( संवत 1700 – 1900 ) ( उत्तर मध्यकाल )
  • गद्य काल ( संवत 1900 – 1984 )

अलग-अलग लेखकों द्वारा आदिकाल का नाम कारण –

अलग-अलग लेखकों ने आदिकाल का नामकरण अपने-अपने मतों के अनुशार भिन्न-भिन्न प्रकार से किया है जिसका वर्णन आपको नीचे दिखाई गयी टेबल में देखने को मिलेगा इससे जुड़ा हुआ प्र्शन भी आपकी परीक्षा में पूछा जा सकता है कृपया इस टेबल को ध्यान पूर्वक देखें।

कालों का नामलेखक
आदिकालहजारीप्रसाद द्विवेदी , डॉ.रसाल
वीरगाथा कालआचार्य रामचन्द्र शुक्ल
चारण कालजॉर्ज ग्रियर्सन
प्रारम्भिक कालमिश्र बन्धु
बीजवपन कालमहावीर प्रसाद द्विवेदी
सिध्द-सामंत कालराहुल सांकृत्यायन
वीर कालविशवनाथ प्रसाद मिश्र
सन्धि-चारण कालडॉ. रामकुमार वर्मा
हिंदी साहित्य का इतिहास नोट्स

हिंदी साहित्य का इतिहास में से परीक्षा में पूछे जाने वाले कुछ महत्वपूर्ण प्र्शन –

  1. सर्वप्रथम परवर्ती अपभृंश ( उत्तर अपभृंश ) को पुरानी हिंदी किसने कहा ?
    उत्तर – चंद्रधर शर्मा गुलेरी ने
  2. काल विभाजन का मुख्य आधार क्या है?
    उत्तर – जनता ( साहित्य में प्रतिबिम्बित ) की मूल प्रवर्ति
  3. जनता की चित्तवृतियों का संचित प्रतिबिम्ब ही साहित्य का इतिहास कहलाता है यह किसने कहा था ?
    उत्तर – आचार्य रामचंद्र शुक्ल
  4. चौरासी सिद्धों में मुख्य सिद्ध कवि कौन-कौन है ?
    उत्तर – सरहपा, शबरपा, लुइपा, डोम्भिपा, कण्हप्पा, कुक्कुरिपा, तंतिपा आदि।
  5. नाथ साहित्य के आरम्भकर्ता कौन हैं?
    उत्तर– गोरखनाथ
  6. गोरखनाथ को हिंदी का प्रथम गद्य लेखक किसने माना ?
    उत्तर – मिश्र बंधुओ ने
  7. गोरखनाथ की रचनाओं का ‘गोरखबानी ‘ नाम से संपादन किसने किया ?
    उत्तर – पीताम्बरदत्त बड़थ्वाल ने
  8. किस पंथ को योग मार्ग, योग सम्प्रदाय, अवधूत मंत भी कहा जाता है ?
    उत्तर  – नाथ पंथ को

सिद्ध मत और नाथ पन्थ में मुख्य अंतर –

हमारे इस सेक्शन में आपको सिद्ध मत और नाथ पन्थ में मुख्य अंतर का वर्णन मिलेगा जो की आपको एक बहुत ही सरल सी भाषा में समझाया गया है आपको इस सेक्शन का अध्यन करने के बाद सिद्ध मत और नाथ पन्थ में अंतर स्पष्ट रूप से पता लग जायेगा।  अतः सिद्ध मत और नाथ पन्थ में मुख्य अंतर नीचे निम्नलिखित है –

सिद्ध मत पन्थ मत
ये ईश्वर को मानाने वाले थेये ईश्वर को मानाने वाले नहीं थे
ये नारी भोग में विस्वाश करते थेये नारी भोग में विस्वाश नहीं करते थे
हठयोग और गुरु महिमा से नहीं जुड़ा थाहठयोग और गुरु महिमा से जुड़ा था
हिंदी साहित्य का इतिहास नोट्स

आदिकाल के प्रमुख ग्रन्थ एवं उनके रचनाकार

आदिकाल में  ग्रंथ, रचनाये लिखी गयी है उन सभी का वर्णन आपको हमारे इस सेक्सन में दिया गया है जो नीचे दी हुई सारणी में   दिया गया है इससे जुड़े हुए प्र्शन भी आपकी परीक्षा में आ सकती है।

रचनाएँ रचनाकार
पउम चरिउ,स्वयंभू
स्व्यंभू चरिउमहपुराण
जसहर चरिउपुष्पदंत
भविष्यत कहाधनपाल
सन्देश रासकअब्दुल रहमान
उपदेश रसायन रासजिनदत्त सुरि
परमात्म प्रकाश, योगसारजोइंदु
पाहुड दोहारामसिंह
हिंदी साहित्य का इतिहास नोट्स

आदिकाल के प्रमुख जैन साहित्य ( हिंदी साहित्य का इतिहास )

निम्नलिखित टेबल में आपको आदिकाल के प्रमुख जैन साहित्य के नाम एवं उनके सामने उनके रचनाकारों के नामों का उल्लेख किया है, इस प्रकार के प्रश्न आपकी परीक्षा में पूछे जा सकते हैं अतः सारणी को ध्यान पूर्वक देखें।

रचनाएँ रचनाकार
श्रावकाचार, लघुनय चक्र, दर्शनसारदेवसेन
भरतेश्वर बाहुबली रासशालिभद्र सुरि
चन्दनवाला रासआसगु
स्थूलिभद्र रासजिनधर्म सूरी
रेवंतगिरि रासविजयसेन सूरी
नेमिनाथ राससुमति गनि
हिंदी साहित्य का इतिहास नोट्स

आदिकाल के प्रमुख रासो ग्रन्थ ( हिंदी साहित्य का इतिहास )

निम्नलिखित टेबल में आपको आदिकाल के प्रमुख रासो ग्रन्थ के नाम एवं उनके सामने उनके रचनाकारों के नामों का उल्लेख किया है, इस प्रकार के प्रश्न आपकी परीक्षा में पूछे जा सकते हैं अतः सारणी को ध्यान पूर्वक देखें।

ग्रन्थ रचनाकार
खुमाण रासोदलपत विजय
बीसलदेव रासोनरपति नाल्ह
हम्मीर रासोशांडगरधर
परमाल रासोजगनिक
पृथ्वीराज रासोचंदबरदाई
जयचंद प्रकाशभटट केदार
जयमयंक-जसचन्द्रिकामधुकर कवी
Hindi sahitya ka Itihas 2022 in hindi

आदिकाल के अन्य ग्रन्थ

निम्नलिखित टेबल में आपको आदिकाल के अन्य ग्रन्थ के नाम एवं उनके सामने उनके रचनाकारों के नामों का उल्लेख किया है, इस प्रकार के प्रश्न आपकी परीक्षा में पूछे जा सकते हैं अतः सारणी को ध्यान पूर्वक देखें।

ग्रन्थ रचनाकार
राउलवेलरोड़ा कवि
खालिकबारीअमीर खुसरो
उक्ति-व्यक्ति प्रकरणदामोदर शर्मा
ढोला-मरू-रा-दुहाकवि कल्लोल
कीर्ति लताविद्यापति
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भक्तिकाल ( 1400-1700 ई. )

इस सेक्शन में आपको भक्तिकाल के बारे में वह जानकारी दी जाएगी जो आपकी class 12th hindi यूपी बोर्ड की परीक्षा में पूछी जा सकती है। इसके आलावा आपको इस सेक्शन में पता लगेगा भक्तिकाल के प्रमुख काव्यधाराों के बारे कियोंकि इनसे सम्बंधित प्रश्न आपकी आगामी class 12th hindi यूपी बोर्ड की परीक्षा में पूछे जा सकते है –

भक्तिकाल को दो काव्यधाराओं में बांटा गया है-

  1. निर्गुण काव्यधारा
    इस काव्यधारा को दो शाखाओं में विभाजित किया गया है –
        (i) ज्ञानश्रयी शाखा  ( प्र. क. – कबीरदास )
      (ii) प्रेमाश्रयी शाखा ( प्र. क. – जायसी )
  2. सगुण काव्यधारा
    इस काव्यधारा को भी दो शाखाओं में विभाजित किया गया है –
         (i) रामभक्ति शाखा ( प्र. क. – तुलसीदास )
         (ii) कृष्ण भक्ति शाखा ( प्र. क. – सूरदास )

भक्ति के चार सम्प्रदाय

हमारे इस सेक्सन में आपको भक्ति के चार सम्प्रदायों  का वर्णन देखने को मिलेगा। जो नीचे सरल भाषा में दिया गया है।

  1. श्री सम्प्रदाय रामानुजाचार्य ( प्रवर्तक )
    रामानन्द के 12 शिष्य-रैदास, कबीर, धन्ना, सेना, पीपा, भवानन्द, सुखानंद, अनन्तानन्द, सुरसुरानन्द, नरहयानन्द, पदमावती, सुरसुरी
  2. ब्रह्म सम्प्रदाय मध्वाचार्य ( प्रवर्तक )
    चैतन्य महाप्रभु
  3. रूद्र सम्प्रदाय विष्णुस्वामी ( प्रवर्तक )
    ( महाप्रभु वल्ल्भाचार्य के पुष्टि सम्प्रदाय के रूप जीवित, अनुययियों में सूरदास एवं ‘ अष्टछाप ‘ के अन्य कवि )
  4. सनकादि सम्प्रदाय निम्बार्काचार्य ( प्रवर्तक )
  5. राधा वल्ल्भी सम्प्रदाय गोसाईं हितहरिवंश ( प्रवर्तक )

निर्गुण काव्यधारा

इस काव्यधारा को दो शाखाओं में विभाजित किया गया है –

ज्ञानश्रयी शाखा

निर्गुण काव्यधारा की यह पहली शाखा है, इस शाखा में ज्ञान पर अधिक बल दिया गया।
कबीर ( रामानन्द के शिष्य ) – वाणी का संग्रह –‘ बीजक ‘
बीजक के तीन भाग – रमैनी, सबद एवं साखी
सिद्धो की ‘ संन्धा भाषा ‘ का प्रभाव ‘ उलटबासियों ‘ ( प्रतीकात्मक ) पर
कबीर के आलावा रैदास, गुरुनानक, दादूदयाल, सुन्दरदास, रज्जब आदि का सम्बन्ध ज्ञानाश्रयी शाखा से

प्रेमाश्रयी शाखा

निर्गुण काव्यधारा की यह दूसरी शाखा है, इस शाखा में सूफी काव्य को दर्शाया गया है।
सूफियों ने ‘ अनहलक ‘ अर्थात ‘ में ब्रम्हा हुँ ‘ की घोषणा की
सूफी साधना के चार सम्प्रदाय – चिश्ती, सोहरावर्दी, कादरी एवं नक्शबन्दी
हिन्दी के प्रथम सूफी कवि-मुल्ला दाऊद ( 1379 ई. ) – ‘ चनंदायन ‘ नामक रचना
मलिक ,मुहम्मद जायसी  प्रतिनिधि कवि-अमेठी के निकट जायस के निवासी, ‘ अखरावट ‘, ‘ आखिरी कलाम ‘ एवं ‘ पदमावत ‘ नामक रचनाएँ हैं
पदमावत ‘ प्रेम की पीर ‘ की विशद व्यंजना
इन सबके अतिरिक्त कुतुबन ( मृगावती ) मंझन ( मधुमालती ) आदि प्रमुख कवि।

सगुण काव्यधारा

इस काव्यधारा को भी दो शाखाओं में विभाजित किया गया है –

रामभक्ति शाखा

सगुण काव्यधारा की यह पहली शाखा है, इस शाखा में राम भक्ति को दर्शाया गया है।
रामभक्त कवियों का सम्बन्ध रामानन्द से।
तुलसीदास प्रतिनिधि कवि – इन्होने ‘ रामचरितमानस ‘, ‘ गीतावली ‘, ‘ कवितावली ‘, ‘ विनयपत्रिका ‘ आदि की रचना की। तुलसीदास के अलावा नाभादास ( भक्तकाल ), प्राणचंद चौहान, ह्रदय राम आदि महत्वपूर्ण कवि हैं।

कृष्णभक्ति शाखा

सगुण काव्यधारा की यह दूसरी शाखा है इस शाखा में कृष्ण भक्ति को दर्शाया गया है।
कृष्णभक्ति धारा की दार्शनिक पीठिका वल्ल्भाचार्य द्वारा तैयार – इनके द्वारा परिवर्तित मार्ग ‘ पुष्टिमार्ग ‘ कहलाता है।
सूरदास प्रतिनिधि कवि – ‘ सूर सागर ‘, ‘साहित्य लहरी ‘, ‘ सूरसारावली ‘ की रचना की  – वात्सल्य एवं श्रंगार के अप्रतिम कवि  सूरदास के अतिरिक्त नन्ददास ( रास पंचाध्यायी ), कृष्णदास ( जुगमान चरित्र ) आदि
मीराबाई इनके काव्य पर निर्गुण-सगुण दोनों का प्रभाव।
रसखान  ( प्रेम वाटिका -1614 ई. )
रहीम ‘ रहीम दोहावली ( सतसई ) ‘, ‘ बारवे नायिका भेद ‘, ‘ शृंगार सोरठा ‘

रीतिकाल ( 1700-1850 ) हिंदी साहित्य का इतिहास

हिंदी में ‘ रीति ‘ शब्द का अर्थ विस्तार हो गया है। यंहा रीती शब्द प्रायः लक्षण ग्रंथों के लिए प्रयुक्त होता हैअर्थात जिन ग्रंथों में काव्य रचना सम्बन्धी नियमों और सिद्धांतो का विवेचन किया गया हो उन्हें रीती ग्रन्थ कहते है।

रीतिकाल का नामकरण

श्रंगार काल – विश्वनाथ प्रसाद मिश्र
        रीतिकाल -आचार्य शुक्ल
        अलंकृत काल – मिश्र बन्धु

रीतिकालीन काव्य की तीन धाराएं

रीतिबद्ध             केशवदास, सेनापति, देव, भूषण, मतिराम, पदमाकर
       रीतिसिद्ध           बिहारी
       रीतिमुक्त            घनानंद, आलम, बोधा, ठाकुर

आधुनिक काल ( 1850 ई. से अब तक ) हिंदी साहित्य का इतिहास

हिंदी साहित्य में आधुनिक काल का नाम सर्वप्रथम आचार्य रामचंद्र शुक्ल द्वारा दिया गया है। इस युग को नवजागरण नाम से प्रिसिद्धि मिली जिसके प्रणेता भारतेन्दु हरिश्चंद्र थे। इस युग में गद्य साहित्य का विकास हुआ।

भारतेन्दु युग ( 1850-1900 )

इस युग के कुछ प्रमुख रचनाकार

  • भारतेन्दु हरिश्चंद्र
  • प्रतापनारायण मिश्र
  • बालकृष्ण भटट
  • बद्रीनारायण चौधरी ‘ प्रेमधन ‘

द्विवेदी युग ( 1900-1918 )

इस युग के कुछ प्रमुख रचनाकार नीचे दी हुई सारणी में दिए गए हैं –

प्रमुख रचनाकार रचना
महावीरप्रसाद द्विवेदीसरस्वती पत्रिका
प. चंद्रधर शर्मा गुलेरीउसने कहा था
अध्यापक पूर्णसिंहगेंहू और गुलाब
बाबू श्यामसुन्दर दाससाहित्यालोचन
बालमुकुन्द गुप्तशिवशंभु के चिट्टे
प. किशोरीलाल गोस्वाव्मीअंगूठी का नगीना
बाबू गोपालराम गहमरीअद्भुत लाश
Hindi sahitya ka Itihas 2022 in hindi

इस अध्याय से जुड़े हुए एक आसान सा टेस्ट दें।

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